वेदना का शब्द दर्पण
प्रेम का अविरल समर्पण
स्वयम वाचक, स्वयम श्रोता
और क्या है गीत होता
– मनीषा शुक्ला
मनीषा शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 07 सितंबर को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर तथा इलाहाबाद में हुई है। वे हिंदी कवि सम्मेलन की एक प्रतिष्ठित कवयित्री हैं।दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया कॉलेज से इन्होंने बी टेक (इलैक्ट्रोनिक्स एन्ड कम्युनिकेशन) की उपाधि प्राप्त की। इसके अलावा वे एसोसिएट मेंबर ऑफ इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (ए.एम.आई.ई) से भी ग्रेजुएट हैं। वर्तमान समय में वे एक सरकारी कम्पनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बी.एच. ई.एल.) में एक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।
कविता लेखन में बचपन से ही रुचि के कारण उनका रुझान कवि-सम्मेलनों की ओर रहा। यद्यपि मनीषा के लेखन का मूल विषय श्रृंगार है, मग़र वे समसामयिक विषयों पर भी बहुत बेबाकी से अपनी बात कविता के माध्यम से रखने में सक्षम हैं। मनीषा श्रृंगार रस के गीतों में आधुनिकता के बिम्ब पिरोकर अपने लेखन को विशेष बनाती हैं। गीत, ग़ज़ल और नवगीत इनके लेखन की प्रमुख शैलियाँ हैं।
मनीषा ने अबतक तक़रीबन 500 से अधिक कवि-सम्मेलनों में भाग लिया है। वे मंच के तक़रीबन सभी प्रतिष्ठित कवियों जैसे सुरेंद्र शर्मा, कुमार विश्वास, अरुण जेमिनी, शम्भू शिखर, चिराग़ जैन, हरिओम पँवार, अनामिका अम्बर, अशोक चक्रधर, दिनेश रघुवंशी, रमेश मुस्कान, विष्णु सक्सेना आदि के सानिध्य में काव्यपाठ कर चुकी हैं।
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